what is satellite tv,DTH and IPTv [hindi]
नमस्कार दोस्तो कैसे है आप सब। टीवी तो हम सब देखते ही है। लेकिन क्या कभी सेाचते है कि यह टीवी पहले क्यो कम चैनल पकडते थे और आजकल के टीवी काफी ज्यादा चैनलो को शो करते है।, इनमे कुछ पे चैनल होते है तो कुछ फ्री चैनल होत है। आखिर जो पहले के टीवी आते थे
उनमें और आज के टीवी चैनलो में क्या अन्तर है। आज हम इसी बारे में आपको बतायेगें की ये टीवी चैनलो के ब्राडकास्ंिटग के सिस्टम को उनमे हुये सुधार और विकास को। हम यहा पर आपको टीवी के चैनलो के विकास की नही बल्कि ब्राडकास्टिंग के सिस्टम के विकास की जानकारी देंगें। तो चलिये शुरु करते है।
इस सिस्टम में एल्युमिनियम का एक एंटिना लगा होता था, और इनमें सात या नौ एल्युमिनियम के ही एंगल लगे होते थे जो अपनी लम्बाई के घटते हुये क्रम में लगे होते थे। इस प्रकार के टीवी की यह प्राब्लम होती थी कि यह सिग्नल के हिसाब से पिक्चर दिखाता था। जिसकी क्वालिटी बढिया नही होता था। और यह दूर दराज के ग्रमीण क्षेत्रो में नही देखा जा सकता था यह पूरे देश को कवर नही कर पाता था। जिससे हर जगह इसकी उपलब्धता नही थी।
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इस सिस्टम का सबसे बडी खासियत यह है कि आप देश के किसी कोने में हो आप टीवी के चैनलो को उच्च पिक्चर क्वालिटी के साथ देख और सुन सकते है। और यह एक वायरलेस सिस्टम है।
ये सभी सेवाये भारत में इसरो के सेटेलाइट इनसेट, 4सीआर, 4ए, और इनसेट 2ई सें मुहैया कराई जाती है या कुछ निजी कम्पनीयो के सेटेलाईट एनएसएस-6, थइकाम-2 या टेलस्टार 10 से उपलब्ध कराई जाती है। डिश टीवी, विडियोकान, टाटा स्काई, एअरटेल, रिलायेस जैसी बडी कम्पनीया इस पर अपनी सेवायें उपलब्ध कराती है।
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इस तकनिक में टीवी चैनल अपने कन्टेन्ट को कम्प्यूटर डाटा के छोटे पैकेज की एनकोड कर इसका प्रसारण करते है। और हम अपने ब्राडबैन्ड कनेक्शन पर ही राउटर से सेटटाप वाक्स कनेक्ट करके उसे डिकोड करते है और टीवी देखते है। यह सेट टाप वाक्स उपभोक्ता के ब्राडबैण्ड कनकेक्शन के राउटर और टीवी के बीच कनेक्ट रहता है।
चुकि यह टीवी इन्छरनेट के प्रोटोकाल का इस्तेमाल करता है। इसलिये यह उपभोक्ता तथा सेवा प्रदाता दोनो के लिये कम खर्चीला होता है। फिलहाल यह अपने यहा इसका इतना प्रसार नही हुआ है। फिर भी कुछ वर्षेा में यह सभी के लिये उपलब्ध हो जायेगा।
तो दोस्तो मेरा यह पोस्ट कैसा लगा हमें जरुर बताईयेगा। आशा है जरुर पसंद आया होगा | आप हमारे ब्लाग को फ्री में सब्सक्राइब करें, और पाये विभिन्न लेटेस्ट अपडेट। पोस्ट अच्छा लगे तो अपने दोस्तों के साथ फेसबुक, ट्विटर पर शेयर करे, आज के लिए सिर्फ इतना ही ।
धन्यवाद
उनमें और आज के टीवी चैनलो में क्या अन्तर है। आज हम इसी बारे में आपको बतायेगें की ये टीवी चैनलो के ब्राडकास्ंिटग के सिस्टम को उनमे हुये सुधार और विकास को। हम यहा पर आपको टीवी के चैनलो के विकास की नही बल्कि ब्राडकास्टिंग के सिस्टम के विकास की जानकारी देंगें। तो चलिये शुरु करते है।
ब्राडकास्ट टीवी BroadCast TV
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- रेटिना डिस्प्ले की सच्चाई
- हार्डवेयर और software और firmware में अंतर
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इस सिस्टम में एल्युमिनियम का एक एंटिना लगा होता था, और इनमें सात या नौ एल्युमिनियम के ही एंगल लगे होते थे जो अपनी लम्बाई के घटते हुये क्रम में लगे होते थे। इस प्रकार के टीवी की यह प्राब्लम होती थी कि यह सिग्नल के हिसाब से पिक्चर दिखाता था। जिसकी क्वालिटी बढिया नही होता था। और यह दूर दराज के ग्रमीण क्षेत्रो में नही देखा जा सकता था यह पूरे देश को कवर नही कर पाता था। जिससे हर जगह इसकी उपलब्धता नही थी।
केबल टीवी
कुछ लोग एक बडी छतरी टाइप का एंटिना अपनी छतो पर लगवा लेते थे और डायरेक्ट सेटेलाइट से सिग्नल रिसीव कर टीवी चैनल का आनन्द लेते थे। और केबल के माध्यम से कुछ किराया लेकर अन्य घरो में भी कनेक्शन दे देते थे। जिन्हे ही हम केबल टीवी के नाम से जानते है। लेकिन इस टीवी में भी क्वालिटी आज की तुलना में अच्छी नही थी और यह टीवी भी अलग अलग शहरो में अलग अलग लोगो के द्वारा केबल का कनेकशन दिया ता था। और यह पूरे देश को कवर नही कर पाता था। यह एक सीमित क्षेत्र के लोगो तक ही रहता था। क्योकि इसमें केबल के द्वारा टीवी को सिग्नल दिया जाता है।इन्हें भी पढ़े
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- हार्डवेयर और software और firmware में अंतर
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Satellite TV or Direct To Home (DTH)
इस सिस्टम में टीवी चैनलो के द्वारा एनकोडेड सिग्नल को सेटेलाइट को भेज दिया जाता है। और सेटेलाइट उस सिग्ल को एम्पलीफाई करके पूरे देश में फैला देता है। और हम उस सिग्नल को हम अपने छत पर एक छोटे से पैराबोलीक एंटिना जो उस सेटेलाइट के साथ अलाईन किया होता है सिग्नल को कैच कर एलएनबी के द्वारा अपने सेटटाप वाक्स में भेज देते है। सेट टाप वाक्स एल एन बी के द्वारा भेजे गये सिग्नल को डिकोड कर के टीवी पर भेज देता है। और हमारा टीवी चैनल के ब्राडकास्ट किये जा रहे प्रोग्राम को शो करता है। कुछ सेट टाप वाक्सो में एक ब्युइंग कार्ड लगा होता है जिसका एक आई डी होता है। और इसी से यह अथेंटिकेट किया जाता है कि आपका कौन सा पैकेज एक्टीव है और आनको कौन कौन सा चैनल दिखाया जाता है। आज के समय समय में यह सिस्टम काफी प्रचलित है और इसी के द्वारा सारे टीवी चैनल पूरे देश में दिखाये जाते है।इस सिस्टम का सबसे बडी खासियत यह है कि आप देश के किसी कोने में हो आप टीवी के चैनलो को उच्च पिक्चर क्वालिटी के साथ देख और सुन सकते है। और यह एक वायरलेस सिस्टम है।
ये सभी सेवाये भारत में इसरो के सेटेलाइट इनसेट, 4सीआर, 4ए, और इनसेट 2ई सें मुहैया कराई जाती है या कुछ निजी कम्पनीयो के सेटेलाईट एनएसएस-6, थइकाम-2 या टेलस्टार 10 से उपलब्ध कराई जाती है। डिश टीवी, विडियोकान, टाटा स्काई, एअरटेल, रिलायेस जैसी बडी कम्पनीया इस पर अपनी सेवायें उपलब्ध कराती है।
इन्हें भी पढ़े
- लिनक्स ऑपरेटिंग
- गोरिल्ला ग्लास क्या होता है
- रेटिना डिस्प्ले की सच्चाई
- हार्डवेयर और software और firmware में अंतर
- फ़ोन के बारे में कुछ अफवाहे और उनकी सच्चाई
आईपी टीवी Internet Protocal TV (IPTv)
इसका पूरा नाम इन्टरनेट प्रोटोकाल टेलीविजन है। इस तकनिक में टीवी की सारी सेवाये इन्टरनेट के माध्यम से उपलब्ध कराई जाती है। इसमें एक ही इन्टरनेट केबल के द्वारा आप इन्टरनेट का प्रयोग कर सकते है, टीवी चैनल देख सकते है। बात कर सकते है।इस तकनिक में टीवी चैनल अपने कन्टेन्ट को कम्प्यूटर डाटा के छोटे पैकेज की एनकोड कर इसका प्रसारण करते है। और हम अपने ब्राडबैन्ड कनेक्शन पर ही राउटर से सेटटाप वाक्स कनेक्ट करके उसे डिकोड करते है और टीवी देखते है। यह सेट टाप वाक्स उपभोक्ता के ब्राडबैण्ड कनकेक्शन के राउटर और टीवी के बीच कनेक्ट रहता है।
चुकि यह टीवी इन्छरनेट के प्रोटोकाल का इस्तेमाल करता है। इसलिये यह उपभोक्ता तथा सेवा प्रदाता दोनो के लिये कम खर्चीला होता है। फिलहाल यह अपने यहा इसका इतना प्रसार नही हुआ है। फिर भी कुछ वर्षेा में यह सभी के लिये उपलब्ध हो जायेगा।
तो दोस्तो मेरा यह पोस्ट कैसा लगा हमें जरुर बताईयेगा। आशा है जरुर पसंद आया होगा | आप हमारे ब्लाग को फ्री में सब्सक्राइब करें, और पाये विभिन्न लेटेस्ट अपडेट। पोस्ट अच्छा लगे तो अपने दोस्तों के साथ फेसबुक, ट्विटर पर शेयर करे, आज के लिए सिर्फ इतना ही ।
धन्यवाद
Thanks sir
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