Sim (Subscriber Identity Module) Card Cloning Kya Hai? e-sim kya hota hai? iska kya kaam hai? SIM card kitne prakar ke hote hai? SIM Card kya hota hai?
दोस्तों आज के इस समय में सभी लोगो के पास मोबाइल है. शायद ही कोई ऐसा होगा जिसके पास मोबाइल नहीं होगा. भारत में इस समय लगभग 90 प्रतिशत लोगो के पास smartphone है. लेकिन क्या आपने कभी सोचा है की फ़ोन में SIM ना हो तो क्या होगा. आखिर यह SIM card kya hota hai? और यह काम कैसे करता है. क्या आप बिना SIM के भी कॉल कर सकते है? आज हम आप लोगो को इसी SIM card के विषय में बताएँगे. तो चलिए सबसे पहले यह जान लेते है की यह SIM card क्या होता है?
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प्रत्येक SIM में एक IMSI (International Mobile Subscriber Identity) नंबर स्टोर होता है जो 64 बिट का होता है. और इसके साथ एक authentication Key होता है. अब जैसे ही सिम को हम मोबाइल में लगाकर उसे ऑन करते है तो वह नजदीकी मोबाइल टावर को IMSI नंबर को भेजता है. चुकी मोबाइल टावर मव पहले से ही सभी IMSI नंबर और authentication Key की लिस्ट मौजूद होती है. अब टावर एक रैंडम नंबर को सेलेक्ट करके authentication Key की मदद से एक नया नंबर generate करता है और उसी रैंडम नंबर को मोबाइल को भेज देता है.
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SIM Card kya hota hai? yah kaise kaam karta hai?
दरअसल Subscriber Identity Module को शोर्ट में SIM कहते है. यह एक छोटी सी इलेक्ट्रॉनिक chip होती है, जिसे मोबाइल में इन्सर्ट करने पर मोबाइल GSM नेटवर्क से कनेक्ट हो सकने में सक्षम हो जाता है. अब यह sim जिस कंपनी के द्वारा प्रोवाइड किया गया होता है यह उस कंपनी के ही नेटवर्क से कनेक्ट होता है, और यह उस कंपनी के सबसे नजदीकी टावर में अपने आइडेंटिटी को डिस्प्ले करता है.प्रत्येक SIM में एक IMSI (International Mobile Subscriber Identity) नंबर स्टोर होता है जो 64 बिट का होता है. और इसके साथ एक authentication Key होता है. अब जैसे ही सिम को हम मोबाइल में लगाकर उसे ऑन करते है तो वह नजदीकी मोबाइल टावर को IMSI नंबर को भेजता है. चुकी मोबाइल टावर मव पहले से ही सभी IMSI नंबर और authentication Key की लिस्ट मौजूद होती है. अब टावर एक रैंडम नंबर को सेलेक्ट करके authentication Key की मदद से एक नया नंबर generate करता है और उसी रैंडम नंबर को मोबाइल को भेज देता है.
अब उस रैंडम नंबर के द्वारा सिम ऑथेंटिकेशन key की मदद से एक नया नंबर generate करता है. अब टावर के द्वारा generate किया गया नंबर और आपके मोबाइल सिम के द्वारा generate किया गया नंबर जब same होता है तो आप उस particular प्रोवाइडर की सर्विसेज को इस्तेमाल कर पाते है.
आप sim card के ऊपर एक लम्बा सा नंबर लिखा हुआ देखते होंगे यह ICCID (Intigrated Circuit Card Identity) Sim card को identify करता है. यदि आप देश के बहार कही भी जाते है तो यह पता लगता है की यह एक वैलिड सिम कार्ड है.
कम्पनीज इस e सिम में कुछ ऐसा सोच रही है की सेटिंग को मोबाइल में ही download करके सेव कर लिया जाये और ऑथेंटिकेशन का काम वही से हो जाये. जैसे मान लीजिये की आप vodafone की सर्विस का इस्तेमाल करना चाह रहे है तो उसकी सेटिंग अपने फ़ोन में सेव कीजिये और यह सर्विस प्रोवाइडर आप को authenticate कर देंगे और आप उसका इस्तेमाल कर सकेंगे. यदि आप प्रोवाइडर change करते है तो आप उसकी सेटिंग सेव कर लीजिये.
सिम की क्लोंनिंग करने के लिए बहुत से software internet पर मौजूद है. इन सॉफ्टवेयर और सिम रीडर के द्वारा आप सिम के ऑथेंटिकेशन key और IMSI इनफार्मेशन को लेकर एक दुसरे ब्लेंक सिम में दाल कर क्लोन कर सकते है यह बहुत ही आसान है लेकिन सर्विस प्रोवाइडर company इसे तत्काल पकड़ लेगी और वह आपके सिम को बंद कर देगी.
आप sim card के ऊपर एक लम्बा सा नंबर लिखा हुआ देखते होंगे यह ICCID (Intigrated Circuit Card Identity) Sim card को identify करता है. यदि आप देश के बहार कही भी जाते है तो यह पता लगता है की यह एक वैलिड सिम कार्ड है.
SIM Card ka kya kaam hai?
- यह सबसे पहले IMSI (International Mobile Subscriber Identity) number के द्वारा सब्सक्राइबर की पहचान करता है. और प्रतेक IMSI नंबर को एक मोबाइल नंबर पर map किया जाता है. ताकि ग्राहक की पहचान हो सके.
- IMSI नंबर के द्वारा यह sure किया जाता है की ग्राहक ने नेटवर्क पर लीगल तरीके से लॉग इन किया है. और यह अब इस कंपनी के सभी सेवाओ का लाभ ले सकता है.
- इसमे मोबाइल नंबर और SMS को भी स्टोर किया जा सकता है.
SIM card kitne prakar ke hote hai?
साइज़ के आधार पर 3 प्रकार के होते है
- Mini
- Micro
- Nano
Network के आधार पर 4 प्रकार के होते है.
- 2g
- 3g
- 4g
- LTE
Technology के आधार पर 2 प्रकार के होते है.
1- GSM
इसे Bell laboratories के द्वारा सन 1970 में बनाया गया था. इसका पूरा नाम Global System for Mobile होता है. यह 800 MHz से लेकर 1.2 Ghz तक काम करता है. यह सिम Time division access multiplexing के narrow band transmission तकनीक पर काम करती है. इसमे डाटा transfer की rate 16 Kbps से लेकर 120 Kbps तक होती है.यह prepaid और postpaid दोनों तरह के हो सकते है.2- CDMA
इसका पूरा नाम Code Division Multiple Access है. यह Communication spread spectrum तकनीक का इस्तेमाल करती है. और यह GSM हैंडसेट में सपोर्ट नहीं करते है. यह भी prepaid और postpaid दोनों तरह के हो सकते है.पेमेंट system के आधार पर 2 प्रकार के होते है
1- Prepaid
जिस प्रकार के सिम में बात करने के लिए पहले रिचार्ज करना पडता है और बात करने के बाद इसी बैलेंस में से पैसा कट जाता है prepaid सिम कहलाता है.और जितना बैलेंस होता है आप उतना ही बात कर सकते है. बैलेंस ख़तम हो जाने पर आप बात नहीं कर सकते है. यह ठीक उसी प्रकार से जैसे atm या debit card.2- PostPaid
इस प्रकार के सिम card में प्लान के हिसाब से हर महीने बिल आता है और उसको paid करना पड़ता है.इसमे आप जितनी चाहे बात कर सकते है, इसमे बैलेंस का चिंता नहीं होता है. महीने के लास्ट में बिल के द्वारा उसका पेमेंट किया जाता है. यह ठीक उसी प्रकार से है जैसे credit card.e-sim kya hota hai?
चुकी भविष्य में हम e sim को ही इस्तेमाल करेंगे क्योकि यह सिम कार्ड कुछ बड़ा काम नहीं करता है. यह सिर्फ कुछ इनफार्मेशन को स्टोर करके रखता है और ऑथेंटिकेशन का काम करता है, आप इस particular प्रोवाइडर की इस सर्विस को इस्तेमाल कर रहे है.कम्पनीज इस e सिम में कुछ ऐसा सोच रही है की सेटिंग को मोबाइल में ही download करके सेव कर लिया जाये और ऑथेंटिकेशन का काम वही से हो जाये. जैसे मान लीजिये की आप vodafone की सर्विस का इस्तेमाल करना चाह रहे है तो उसकी सेटिंग अपने फ़ोन में सेव कीजिये और यह सर्विस प्रोवाइडर आप को authenticate कर देंगे और आप उसका इस्तेमाल कर सकेंगे. यदि आप प्रोवाइडर change करते है तो आप उसकी सेटिंग सेव कर लीजिये.
Sim Card Cloning Kya Hai?
एक ही नंबर को दो सिम पर एक्टिवेट करना सिम क्लोनिंग कहलाता है. चुकी इंडिया में सिम क्लोनिंग लीगल नहीं है. और आप इसे नहीं कर सकते है. लेकिन कुछ देशो में सिम क्लोंनिंग की सुविधा सर्विस प्रोवाइडर खुद देते है कैसे मान लीजिये की आप एक ही नंबर को अपने फ़ोन , टेबलेट और मॉडेम में यूज़ करना चाहते है तो सर्विस प्रोवाइडर कंपनी एक ही नंबर पर मल्टीप्ल सिम प्रोवाइड करते है, ताकि आप बड़ी ही आसानी से उसे इस्तेमाल कर सके. लेकिन भारत में आप ऐसा नहीं कर सकते है.सिम की क्लोंनिंग करने के लिए बहुत से software internet पर मौजूद है. इन सॉफ्टवेयर और सिम रीडर के द्वारा आप सिम के ऑथेंटिकेशन key और IMSI इनफार्मेशन को लेकर एक दुसरे ब्लेंक सिम में दाल कर क्लोन कर सकते है यह बहुत ही आसान है लेकिन सर्विस प्रोवाइडर company इसे तत्काल पकड़ लेगी और वह आपके सिम को बंद कर देगी.
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